लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट से मोहि आन उबारो ॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला । जरे सुरासुर भये विहाला ॥ त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥ धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥ Therefore whenever you acquire an item on Amazon from the https://shivchalisas.com